रविवार, 24 अक्टूबर 2021

देवर से लिया चुदाई का असली मजा-

 

देवर से लिया चुदाई का असली मजा


इंडियन सुहागरात स्टोरी में पढ़ें कि मेरी शादी के बाद जब मेरे पति कमरे में आये तो उन्होंने क्या किया. मेरी सहेलियों ने जो सुहागरात का बताया था ऐसा कुछ हो नहीं रहा था.

तो मेरे दोस्त और सहेलियो, एक बार फिर आप अपने अपने औजारों का प्रयोग करना शुरू कर दो।
इस कहानी की नायिका रूपाली है। यह कहानी पूर्ण रूप से काल्पिनक है और इस कहानी का वास्तिवकता से कोई लेना देना नहीं है।

तो चलिये रूपाली की जुबानी ही कहानी शुरू करते हैं।

हाय दोस्तो, मेरा नाम रूपाली है। मैं पांच फिट चार इंच लम्बी हूं। मेरी शादी को अभी छ: ही महीने हुए हैं। इसलिये अभी मेरे जिस्म के आकार में ज्यादा परिवर्तन नहीं हुआ है। बस 34-30-34 का फिगर है।

मेरे पति एक सरकारी कर्मचारी हैं। मेरा भरापूरा ससुराल है। पति भी मस्त है और चुदाई भी बढ़िया करता है।
बस कमी है उस तरीके के चुदाई की … जैसा कि मैं कहानियों में या औरों के मुंह से सुनती हूं कि आज घोड़ी बनाकर चोदा या आज मेरे पति ने या ब्वॉय फ्रेंड ने मुंह को ही चोद दिया, वगैरह वगैरह।

इधर मेरे पति तो चुदाई बढ़िया करते हैं. लेकिन उस चुदाई की तरह नहीं।

सुहागरात की रात मेरे पति आये। मेरे पास बैठे, मुझे अपनी बांहों में भर लिया और मेरी बांहों कि सहलाते हुए मुझे अपने परिवार के बारे में और मेरी जिम्मेदारी के बारे में बताने लगे।
हालाँकि मेरे परिवार के बारे में भी पूछा और अपनी जिम्मेदारी भी बताई. पर अभी वो नहीं कर रहे थे जो सुहागरात को करना चाहिये था।

जबकि मेरी सहेलियाँ बताती नहीं थकती थी कि उनके सुहागरात वाली रोज क्या क्या हुआ था। साथ ही सतर्क किया था कि दारू पीकर आये तो बुरा नहीं मानने का; क्योंकि उसके बाद तो वो कुत्तों की तरह जिस्म कहाँ-कहाँ चाटते हैं कि जिस्म थर्रा जाता है।

खैर धीरे-धीरे बातें करते हुए उन्होंने मेरे सर का पल्लू हटाकर मेरे शृंगार को अलग किया और मेरी छाती से साड़ी को किनारे करके मेरे ब्लॉउज का हुक खोलकर मेरी ब्रा को मेरी चूचियों से ऊपर करके मेरे छोटे-छोटे निप्पल को पीने लगे.

और फिर नीचे से मेरी साड़ी और पेटीकोट को मेरी कमर पर लाकर मेरी पैन्टी के ऊपर से ही मेरी चूत पर थोड़ी देर तक हाथ फिराते रहे।


मैं उनके स्पर्श को अपने ऊपर इस तरह पाकर बहुत ही रोमांचित होने लगी.
कि तभी उन्होंने मेरी पैन्टी उतार दी।

मैंने शर्म के मारे अपनी आँखें बन्द कर ली।

मेरे पतिदेव मेरे ऊपर चढ़ गये और मेरे दोनों चूचियों को बारी-बारी से चूसने लगे।

कुछ देर बाद मुझे कुछ बहुत ही गर्म चीज चूत के मुहाने पर महसूस हुयी।
शायद उनका लंड था।
शायद क्या … उनका लंड ही था जिसको मेरे पतिदेव मेरी चूत पर रगड़ रहे थे.

अचानक उनका गर्म लंड मेरी चूत के अन्दर मुझे फंसा हुआ सा महसूस हुआ और मुझे लगा कि कोई ब्लेड मेरी चूत के अन्दर चल रहा है और उस कटी हुई जगह से खून निकल रहा है।
मैं उस जलन को बर्दाश्त नहीं कर पायी और मेरे मुख से चीख निकल गयी। तभी उनका हथेली ने मेरे मुंह को दबा लिया।

फिर उन्होंने मुझसे फुसफुसाते हुए कहा- थोड़ा बर्दाश्त करो और चिल्लाओ नहीं! नहीं तो बाहर से आवाज आने लगेगी।
कहकर वो एक बार फिर मेरी चूची पीने लगे।


उनके इस तरह करने से मुझे थोड़ी देर बाद राहत मिल गयी. और मुझे शिथिल जानकर एक बार फिर से उन्होंने मेरे ऊपर चढ़ाई कर दी.
लेकिन इस बार वो बहुत ही एहितयात से कर रहे थे. जिससे मुझे हल्के दर्द के साथ मजे आने शुरू हुए।

करीब 15-20 मिनट तक वो मेरी चुदाई करते रहे और फिर अपना गर्म लावा मेरी चूत के अन्दर डालकर किनारे हो गये।
मुझे भी खूब मजा आया। मेरे जिस्म के एक-एक अंग को निचोड़ कर रख दिया था।

मेरा पानी निकलने के बाद ही उन्होंने अपना लावा मेरे अंदर डाला. लेकिन इसके बावजूद मुझे कुछ कमी लग रही थी।
हालांकि मुझे मेरी चूत बजने का बड़ा मजा आया।

दूसरी रात भी आयी.
हम लोगों के बीच प्यारी-प्यारी और मीठी-मीठी बातें हुयी.

और उसके बाद फिर वही हुआ. पति ने मेरा ब्लॉउज खोला, निप्पल चूसे, साड़ी को कमर तक उठाया, पैन्टी उतारी और अपने गर्म लंड को मेरी चूत में डालकर चूत को मथनी की तरह मथने लगे।
इसी तरह होते-होते चार दिन कब बीत गये, पता ही नहीं चला।

मैं इतना कह सकती हूं कि मजा तो बहुत था इस चुदाई में! भले ही मैंने लंड के दर्शन नहीं किये हों.

मैंने ही क्या … मेरे पति ने भी मेरी चूत के दर्शन नहीं किये होंगे. क्योंकि वो मुझे चोदते समय मेरी निप्पल को ही चूसते थे, नीचे मेरी चूत की तरफ उतरे ही नहीं।
चोदा और फिर सो गये।

खैर पहली विदाई के बाद मैं घर आ गयी।
मेरी सहेलियाँ मुझसे मिलने के लिये आयी।

अपने कमरे में मैं अकेली थी. उन्होंने दरवाजा बन्द किया और सभी ने मुझे कस कर पकड़ लिया.

मैं कुछ बोलती … इससे पहले एक बोली- चुपचाप पड़ी रहो, फिर बात करेंगे।

उन्होंने मेरी सलवार का नाड़ा खोला और सलवार और पैन्टी को उतारकर मेरी चूत को सहलाते हुए बोली- फूल गयी है! लगता है जीजाजी ने बहुत अच्छे से तुम्हारी चूत चोदी है।

मैं उनकी बात सुनकर खुश हो गयी.
लेकिन बनावटी गुस्सा करते हुए बोली- तुम लोगों को शर्म नहीं आती?

तभी दूसरी बोली- अब शर्म का बहाना छोड़ो और बताओ जीजाजी ने और क्या-क्या किया?
मैंने उन सब को सब कुछ बता दिया.

तो बोली- क्या तुमने उनका लंड को चूसा नहीं?
मैं बोली- लंड चूसना तो बहुत दूर की बात है, मैंने अभी तक उनका लंड देखा भी नहीं।

मेरी सभी सहेलियां चौंकते हुए बोली- क्या बात कर रही हो?
फिर सभी मुझसे अपने-अपने सुहागरात की बातें एक बार फिर बताने लगी।

जैसे-जैसे वो अपने सेक्स के बारे में बताती जा रही थी, मेरे मन में उदासी की चादर ओढ़े जा रही थी. लेकिन इसके बाद भी एक सकून था कि मेरे पति के चोदने की ताकत लंबी थी।

दूसरी तरफ मैं यह भी सोच रही थी कि हो सकता हो कि नया नया हो और उन्हें भी लगता होगा कि अभी वाइल्डनेस नहीं दिखानी चाहिये।

थोड़ी देर बाद मेरी सभी सहेलियाँ चली गयी।

रात को सोते समय एक बार फिर मुझे उनकी याद आयी. पर चुदाई की सीन याद आते ही मैं स्कूल और कॉलेज के ख्यालों में खो गयी। जहाँ पर मेरी फिगर और खास तौर से मेरी गांड की तारीफ लड़के तो लड़के … मेरी सहेलियां भी करती थी.

तारीफ ही नहीं करती थी, बल्कि जिस दिन स्कूल का कोई लड़का मेरा नाम लेकर सरका मारकर आता था और अपने दोस्तों से शेयर करता था, तो उनकी बातें सुनकर आती थी और मुझे बताती थी।
मेरी सहेली सीमा तो रोज ही कुछ न कुछ आकर बोलती- कभी इस लड़के ने रात को तेरे बारे में सोचकर सरका मारा तो कभी उस लड़के ने।

एक बार की बात है जब लंच टाईम हुआ तो सभी लोग मैदान में आकर लंच कर रहे थे।
मैं भी अपना लंच लेकर जा ही रही थी कि मैंने सुना कि मनीष सुरेश से कह रहा है ‘सुन यार रूपाली …’

जैसे ही मनीष के जुबान से मैंने अपना नाम सुना तो मैं वहीं क्लास के बाहर दीवार से टिक गयी और उन दोनों की बात सुनने लगी.

मनीष सुरेश से कह रहा था कि रूपाली बड़ी मस्त माल है। वो मेरे फिगर का दीवाना है पिछले कई दिन से मेरा नाम लेकर वो रोज रात को सरका मारता है।
खुद सुरेश भी मेरा नाम लेकर सरका मारता है।

तभी सुरेश मनीष से बोला- चल मान ले कि रूपाली तेरे से चुदने के लिये तैयार हो जाती है तो तू उसके साथ क्या करेगा?

“अबे करूँगा क्या … रूपाली ऐसी कली के महक को अपने जिस्म से समा लूंगा. उसके जिस्म की एक-एक पंखुड़ी को प्यार से मसलूंगा। उसकी बुर चाट-चाट कर लाल कर दूंगा। उसके चूचों से एक एक बूंद दूध की निचोड़ लूंगा. उसकी गांड को भी चाट चाट कर सुजा दूंगा. वो मेरा लम्बा लंड देखने के बाद खुद ही साली बोलेगी कि मनीष मेरी बुर गांड चाटना छोड़, अपना मूसल लंबा लंड मेरी चूत में डाल और मेरी चूत फाड़ दे।”

मैं उनकी बात सुन ही रही थी कि दूर से सर लोग आते हुए दिखाई पड़ गए. उनकी नजर मुझ पर नहीं पड़ी. मैं चुपचाप वहां से निकल गयी।

उनकी बात सुनकर उस समय वास्तव में मुझे मेरी पैन्टी कुछ गीली सी लगी। कुछ भी खाने का मन नहीं हुआ.
मैं तेजी से वॉस रूम में आयी और अपनी सलवार उतारकर पैन्टी पर हाथ लगाया. तो सचमुच लसलसा कर गीली हुयी पड़ी थी।

मेरा अब न तो पढ़ने में मन लग रहा था और न ही स्कूल में। बस मुझे घर जाना था।

जैसे ही स्कूल छूटा, मैं घर आ गयी.

कमरे का दरवाजा बन्द करके शीशे के सामने खड़े होकर मैंने खुद को नंगी किया और फिर उस गीली पैन्टी को निहारने लगी.
ऐसा लगा कि मेरे अन्दर से कोई लावा फूट कर निकल आया है।

मैंने उसी पैन्टी से अपनी चूत साफ की और अपनी चूची को ध्यान से देखा.

उसके बाद अपनी चूत को सहलाते हुए थोड़ा घूम कर अपने कूल्हे को फैलाकर गांड को देखने की कोशिश करने लगी, जिसके पीछे लोग दीवाने थे।
लेकिन फिर भी मैं इस बात से बेपरवाह अपने में ही मस्त थी।

हाँ कभी- कभी घर में मैं जब अकेली होती थी तो शीशे के सामने नंगी होकर खुद को निहारा करती थी। बस एक परिवार की इज्जत के कारण मैंने कोई स्टेप नहीं उठाया।

समय के साथ-साथ स्कूल खत्म करके कॉलेज में आ गयी। कॉलेज में भी वही राग, जो मेरे स्कूल में था।
मेरे स्कूल के कुछ लोगों के साथ-साथ मनीष ने भी मेरे कॉलेज में एडमिशन लिया था।

कुछ ही दिन बीते थे कि एक दिन अकेले में मौका पाकर मनीष ने मुझे रोक लिया और बोला- रूपाली, स्कूल के दिनों से ही मैं तुम्हें चाहता हूँ। बस तू एक बार बोल दे कि तू भी मुझे प्यार करती है।
मैंने पीछा छुड़ाने के लिये बोल दिया- देख, मैं तुझे प्यार तो करती हूं. लेकिन किसी से न बता देना. नहीं तो मेरा बाप मुझे मार ही डालेगा।
“नहीं बताऊँगा।” मनीष बोला।

चलो बला टली.
मन में कहते हुए मैं आगे बढ़ गयी।

लेकिन अब तो वो रोज ही मेरे पास मंडराने लगा। सहपाठी था … इसलिये मैं भी नहीं बोलती थी.

लेकिन एक दिन रात को जब मैं पढ़ने के लिये बैठी और अपने बैग से बुक निकाल रही थी. तभी एक लैटर नुमा कागज मिला.
मैंने पढ़ना शुरू किया.

लिखा था- रूपाली, पत्र पढ़ कर गुस्सा मत करना. पढ़ लेना. अगर प्रोपोजल अच्छा लगे तो जो तुम कहोगी वो सब मैं करूँगा।

आगे लिखा था:

रोज रात में तुम मेरे सपने में आती हो और मुझे झकझोर देती हो. तुम्हारा अप्सरा सा रूप देखकर मैं मोहित हो जाता हूं. और फिर धीरे-धीरे तुम अपने पूरे कपड़े उतार कर मेरे सामने नंगी हो जाती हो जाती हो. और मुझे हर जगह चूमती हो.
लेकिन जैसे ही मैं तुम्हें तुम्हारे जिस्म को स्पर्श करता हूं, तुम गायब हो जाती हो और फिर मैं तुम्हारे नाम लेकर अपने लंड को मसल कर रह जाता हूं।
बस एक दिन तुम वो हकीकत में कर दो. जो तुम कहोगी वो में करूँगा।

मुझे गुस्सा तो बहुत आया. लेकिन घर की इज्जत को ध्यान में रखकर मैंने बात आगे बढ़ाना उचित नहीं समझा।

मनीष मेरे पीछे काफी पड़ा लेकिन मैं अपने आपको बचाती रही।
हाँ … जब जिस्म में आग बहुत ज्यादा लग जाती और कोई रास्ता नहीं बचता तो अपनी उंगली से अपनी चूत की क्षुधा शांत कर लेती।

कभी किसी लड़के का जानबूझकर मेरे से टकराकर मेरी चूचियों पर हाथ फेर देता. तो कभी कोई लड़का क्लास में मेरे पीछे बैठकर अपने अंगूठे को मेरे गांड के बीच चला देता।

कई बार मेरी इच्छा हुयी कि एक बार मजा लेकर देख लूं, पर हिम्मत नहीं हुयी।

इस तरह होते-होते कॉलेज खत्म हो गया और उसी समय मेरे पिताजी ने मेरी शादी राहुल से कर दी।

कंजूस पड़ोसी की बीवी की चूत चूदाई

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कंजूस पड़ोसी की बीवी की चूत चूदाई


 #nonvegstory ✍


मेरे बेटे की शादी में पड़ोस के घर से चार लोग आये और 101 का शगुन दे गये. मेरी झांटें सुलग गईं. इसका बदला लेने का जो तरीका मैंने सोचा, वो था उसकी बीवी की चूत को चोदना.

 #nonvegstory ✍

अपने बेटे की शादी के बाद दिये शानदार रिसेप्शन के अगले दिन मैं मेहमानों द्वारा दिये गए शगुन के लिफाफे खोल रहा था. हमारे मुहल्ले में रहने वाले मीतेश का लिफाफा खोला तो मैं दंग रह गया. लिफाफे में मात्र 101 रुपये थे. कोई इतना भी कंजूस हो सकता है, मैंने कभी सोचा नहीं था.

रिसेप्शन का कार्यक्रम शहर के प्रतिष्ठित होटल में किया गया था, जहां प्रति व्यक्ति 1600 रुपये की दर से मैंने भुगतान किया था.

मीतेश मनवानी के साथ उनकी पत्नी रेखा व दो पुत्रियां दिशा, रिशा कार्यक्रम में शामिल हुए थे. चार लोग फाइव स्टार में खाना खाकर 101 रुपये का लिफाफा पकड़ा आये थे. यद्यपि भोजन के मूल्य और शगुन के लिफाफे का कोई सम्बन्ध नहीं होता फिर भी 101 रुपये देखकर मेरी झांटें सुलग गईं.

मीतेश की इस हरकत का बदला लेने का जो तरीका मुझे समझ आया, वो था उसकी बीवी रेखा को चोदना. मैंने तय कर लिया कि रेखा को चोद कर मीतेश के हरामीपन का हिसाब किया जायेगा.

अपनी योजना की शुरुआत करते हुए मैं मिठाई का डिब्बा लेकर मीतेश के घर गया. मीतेश दुकान पर था और उसकी बेटियां स्कूल.

मिठाई का डिब्बा देते हुए मैंने रेखा को रिसेप्शन में आने के लिए धन्यवाद कहा.

रेखा ने कहा- बैठिये, मैं चाय लेकर आती हूँ.

मैं तो बैठने के उद्देश्य से ही गया था इसलिए बैठ गया. #nonvegstory ✍

थोड़ी देर में रेखा चाय लेकर आई तो चाय का कप पकड़ते हुए मैंने कहा- बैठिये, मैं आपसे कुछ कहना चाहता हूँ. बात ये है कि आपको इस मुहल्ले में रहते हुए करीब 10 साल हो गये हैं. जब आप लोग इस मुहल्ले में आये थे और आप पर मेरी नजर पड़ी थी, तभी मेरे दिल ने कहा था कि विजय, ये औरत भगवान ने तुम्हारे लिए ही बनाई है. उस दिन से मैंने तुम्हें बेइंतहा प्यार किया है बल्कि यूं कहो कि तुम्हारी पूजा की है. मेरी बात सुनकर तुम कहीं नाराज न हो जाओ इसलिये मैं आज तक ये बात अपनी जबान पर नहीं लाया. अब मुझसे नहीं रहा जाता, रेखा. अपने प्यार का रस मुझ पर बरसा दो, मैं तुमसे अपने प्यार की भीख मांगता हूं.

मेरी बात सुनकर रेखा कुछ देर तक खामोश रहने के बाद बोली- मैं समझ नहीं पा रही कि आप क्या कह रहे हैं और मैं आपको क्या जवाब दूँ.

“कोई बात नहीं, तुमने मेरी बात सुन ली, मेरे लिए इतना भी बहुत है कि मैंने अपनी मुहब्बत का इजहार कर दिया है, कबूल करो या ठुकरा दो. यह तुम्हारा अधिकार है. अगर तुम इन्कार कर दोगी तो भी मैं तुम्हारी पूजा करता रहूंगा और भगवान से चाहूंगा कि तुम खुश रहो.” #nonvegstory ✍

“मैं कुछ कह नहीं पा रही.”

“कोई बात नहीं, आज सोमवार है, मैं अगले सोमवार को इसी समय आऊंगा. तुम्हारा जो भी फैसला होगा, मुझे कबूल होगा.”

दोनों हाथ जोड़कर नमस्ते करके मैं आ गया.

अगले एक हफ्ते तक मैं व्हाट्सएप पर रोमांटिक शायरी भेज भेज कर अपने प्यार का इजहार करता रहा.

सोमवार आया तो मैंने रेखा को फोन किया- मैं आ सकता हूँ?

“मैं कुछ कहने की स्थिति में नहीं हूँ.”

“कुछ बातें बिना कहे भी कह दी जाती हैं, सिर्फ आँखों से.”

“मैं आ रहा हूँ, मेरे सवाल का जवाब शायद तुम्हारी आँखें दे दें.”

“तो फिर आधे घंटे बाद आइयेगा, प्लीज.”

शिलाजीत गोल्ड के दो कैप्सूल खाकर मैंने एक गिलास दूध पिया और कस्तूरी की मादक खुशबू वाला परफ्यूम लगाकर मैं रेखा के घर पहुंचा.

रेखा ने दरवाजा खोला. #nonvegstory ✍

बिना किसी भाव वाले सपाट चेहरे को देखकर कोई अन्दाज लगाना मुश्किल था.

हल्की सी मुस्कुराहट के साथ दोस्ती का पैगाम देते हुए मैंने अपना दाहिना हाथ रेखा की ओर बढ़ाया. एक पल के लिए ठिठकने के बाद रेखा ने अपने दोनों हाथों से मेरा हाथ पकड़ा और अपनी आँखों से लगाकर बोली- आज सोमवार है, भगवान भोलेनाथ को साक्षी मानकर मैं आपकी मुहब्बत स्वीकार कर रही हूँ. मैं नहीं जानती, ये सही है या गलत. भगवान भोलेनाथ हमारे प्यार की रक्षा करें.

पीले रंग की सिल्क की साड़ी पहने हुए रेखा को मैंने अपने सीने से लगा लिया.

करीब 38 साल की उम्र, मासूम चेहरा और गदराये बदन की मल्लिका रेखा के चूतड़ों पर हाथ फेरते हुए मैं उसकी गर्दन के इर्दगिर्द चूमने लगा. चूतड़ों पर हल्का सा दबाव पड़़ता तो अपनी एड़ियां उठा कर रेखा मेरे और करीब आ जाती.

दस मिनट तक इसी मुद्रा में खड़े खड़े मेरे चुम्बनों की गर्मी से रेखा मदहोश होने लगी. बड़े करीने से बंधी रेखा की साड़ी उसके जिस्म से अलग करके मैंने रेखा को गोद में उठा लिया और उसके होठों पर अपने होंठ रख दिये. आग की तरह तपते रेखा के होंठों ने मेरे जिस्म में आग भर दी और मेरा लण्ड पैन्ट से बाहर आने के लिए फुफकारने लगा.

रेखा को लेकर मैं बेडरूम में आ गया. रेखा का पेटीकोट, ब्लाऊज और अपनी पैन्ट, शर्ट उतार कर हम बेड पर आ गये.


ब्रा के ऊपर से ही रेखा की चूची दबाते हुए मैंने कहा- तुम्हारे कबूतर बहुत खूबसूरत हैं, इन्हें आजाद कर दो.

“मैं खुद तुम्हारी गुलाम बन चुकी हूँ, विजय. मुझसे कुछ न कहो. आओ, मुझमें समा जाओ और अपने बदन का लावा मेरे जिस्म में भर दो.”

अब मैं समझ गया कि रेखा चुदासी हो चुकी है लेकिन मैं अभी भट्ठी पूरी तरह से तपाना चाहता था इसलिए मैंने रेखा की ब्रा खोल दी. रेखा के बड़े बड़े कबूतर आजाद हो चुके थे. दोनों हाथों से रेखा की एक चूची पकड़कर मैं चूसने लगा. बारी बारी से रेखा की दोनों चूचियां चूस कर मैंने उसके निप्पल्स कड़क कर दिये. #nonvegstory ✍

रेखा का निचला होंठ अपने होंठों से पकड़ कर मैंने अपनी जीभ रेखा के मुंह में डाल दी, रेखा भी मेरे होंठों का रसपान करने लगी.

मेरा लण्ड अब बेकाबू होने लगा था इसलिए मैंने रेखा की पैन्टी में हाथ डालकर उसकी चूत सहलाना शुरू किया तो रेखा ने अपने चूतड़ उचकाकर पैन्टी नीचे खिसका दी और अपनी टांगें फैला कर चूत का मुखद्वार खोल दिया.

मैंने अपना अंगूठा रेखा की चूत में डालकर चलाया तो चिहुंक गई. अब भट्ठी पूरी तरह से तप रही थी, अपना भुट्टा रेखा की भट्ठी में भूनने के लिए मैं उठा और रेखा के ड्रेसिंग टेबल से क्रीम की शीशी लेकर मैं बेड पर आ गया. #nonvegstory ✍

अपना अण्डरवियर उतारकर मैंने अपने लण्ड पर हाथ फेरा और ढेर सी क्रीम लण्ड पर चुपड़ कर मैं रेखा की टांगों के बीच आ गया. रेखा की मांसल जांघें और ताजा ताजा शेव की गई डबलरोटी जैसी चूत मुझे आमंत्रित कर रहे थे. चूदाई का भरपूर मजा लेने के लिए मैंने रेखा के चूतड़ों के नीचे एक तकिया रखा. रेखा की चूत के होंठ फैला कर मैंने अपने लण्ड का सुपारा रखा और पूरा लण्ड एक ही बार में पेल दिया.

अपने चूतड़ चलाकर लण्ड को अपनी चूत में सेट करके बड़ी ही मादक आवाज में रेखा बोली- तुम अब तक कहाँ थे, विजय? मेरी शादी को 20 साल हो गये हैं लेकिन ऐसा लग रहा है, जैसे पहली बार चुद रही हूँ. @#nonvegstory ✍

माहौल को सेक्सी बनाने के मकसद से अपना लण्ड रेखा की चूत के अन्दर बाहर करते हुए मैंने पूछा- पहली बार चुदी थी तो कैसा लगा था?

अपने चेहरे पर कुटिल मुस्कान लाते हुए रेखा ने बताया कि पहली बार तो मैं बिना चुदे ही चुद गई थी. चुदवाने के दो महीने बाद मैं समझ पाई थी कि मैं तो चुदी ही नहीं थी.

“बड़ी रहस्यमयी बात कर रही हो कि तुम चुद गई और दो महीने बाद तुमको पता लगा कि तुम चुदी ही नहीं थी. ऐसा कैसे हो सकता है?”

अपने चूतड़ उछाल उछाल कर मेरे लण्ड का मजा लेते हुए रेखा विस्तार से बताने लगी:

ये बात तब की है, जब मेरी शादी की डेट फिक्स हो गई और अपनी पारिवारिक मान्यता के अनुसार मैं शादी से पहले अपने ननिहाल गई, हम लोगों में शादी से पहले लड़की ननिहाल जाती है और ननिहाल के सारे खानदान से मिलकर आती है. ननिहाल के सब लोग लड़की को उपहार आदि देते हैं. @#nonvegstory ✍

इसी परम्परा का निर्वाह करने के लिए मैं अपनी मां के साथ अपने ननिहाल गई थी. मेरे मामा बहुत साधारण व्यक्ति थे और अपने घर के बाहर वाले हिस्से में परचून की दुकान करते थे.

जब से मेरी शादी तय हुई थी, अक्सर सपनों में एक राजकुमार आता था और मेरे जिस्म से खेलता था. उन्हीं सपनों के सहारे मैं अपनी सुहागरात का तानाबाना बुना करती थी.

मामा के यहां आये हुए आज तीसरा दिन था, कल सुबह हमें वापस चलना था. मां और मामी हमारे लिए सामान खरीदने बाजार गईं तो मैं सो गई, रात को टीवी पर देर तक पिक्चर देखी थी और सुबह मां ने जल्दी जगा दिया था इसलिए मुझे नींद आ रही थी.

सोते ही सपनों के सागर में खो गई, मेरा राजकुमार आया और हमेशा की तरह मेरे जिस्म से खेलने लगा. वो कभी मेरी चूचियों को सहलाता तो कभी मेरी चूत पर हाथ फेरता. सपना देखते देखते मैं इतना उत्तेजित हो गई कि मेरी चूत गीली हो गई. इतनी गीली हो गई कि मेरी आँख खुल गई.

आँख खुली तो मैं चौंक गई क्योंकि मैं जो सपना देख रही थी, वो महज सपना नहीं था बल्कि हकीकत था, मामा मेरे बगल में लेटे हुए थे, उनका एक हाथ मेरी चूची पर था और दूसरा मेरी पैन्टी के अन्दर था. मेरी सलवार का नाड़ा खुला हुआ था और मेरी पैन्टी में हाथ डालकर मामा मेरी चूत सहला रहे थे. @#nonvegstory ✍

मैंने चौंकते हुए पूछा- ये क्या कर रहे हो, मामा?

“तुझे चोदने की तैयारी कर रहा हूँ.”

“दिमाग तो सही है? तुम्हें पता है, क्या कह रहे हो?”

“मुझे सब पता है, शायद तुझे नहीं पता कि शादी से पहले तेरी मां की सील भी मैंने ही तोड़ी थी.” इतना कहते कहते मामा ने अपनी उंगली मेरी चूत में डाल दी.

मैंने ना-नुकुर तो किया लेकिन हकीकत है कि मुझे अच्छा लग रहा था और मैं चुदवाने के लिए तैयार हो गई थी.

मेरी तरफ से ज्यादा विरोध न होते देखकर मामा ने अपना कमीज पायजामा उतारा और किचन से तेल की कटोरी लेकर आ गये. मामा ने अपना जांघिया उतारा और हथेली में तेल लेकर अपने लण्ड पर मलने लगे. @#nonvegstory ✍

उस समय तो मुझे समझ नहीं थी लेकिन बाद में जान गई कि लण्ड पर तेल म


ल कर लण्ड की खाल को आगे पीछे करते हुए लण्ड को हिला हिलाकर मामा अपना लण्ड खड़ा कर रहे थे.

जब मामा का लण्ड टाइट हो गया तो मामा ने मेरी सलवार व पैन्टी उतार दी. मेरी चूत में चींटियां रेंगने लगी थीं. मामा मेरी टांगों के बीच आ गये और मेरी टांगें फैला कर मेरी चूत खोल दी. मामा ने अपना लण्ड हिलाते हुए मेरी चूत पर रखा. चूंकि हम लोग बुनी हुई चारपाई पर लेटे हुए थे इसलिए चारपाई में बीच में गड्ढा सा बन गया था, इस कारण मामा का लण्ड ठीक से चूत पर सेट नहीं हो रहा था, मामा ने मुझे जमीन पर खींच लिया और चटाई पर लिटा दिया.

चटाई पर लिटा कर मामा ने मेरी टांगें अपनी जांघों पर खींच लीं और मेरी चूत का मुंह अपने लण्ड के करीब ले आये. अपने लण्ड का सुपारा मेरी चूत के लबों पर रगड़ कर मामा मुझे भी उत्तेजित कर रहे थे और अपना लण्ड भी टाइट कर रहे थे.

तभी चारपाई की तरफ हाथ बढ़ा कर मामा ने तकिया उठा लिया और मेरे चूतड़ों के नीचे रखकर मुझे लिटा दिया. घुटनों के बल खड़े मामा ने कटोरी से तेल लेकर अपने लण्ड पर लगाया और मेरी चूत के लब खोलकर अपने लण्ड का सुपारा रखकर मेरी कमर पकड़ ली.

तभी मामा के लण्ड से पिचकारी छूटी, लण्ड का सुपारा चूत के मुंह पर दबाते हुए मामा ने अपने वीर्य से मेरी चूत भर दी. यद्यपि मुझे कोई खास मजा नहीं आया था, फिर भी चुदवा लेने की बड़ी खुशी थी. @#nonvegstory ✍

फिर मेरी शादी हो गई और सुहागरात को मीतेश कमरे में आया, दरवाजा बंद किया और अपने सारे कपड़े उतारकर बेड पर आ गया. मीतेश ने मेरी सलवार और पैन्टी उतारकर मेरी टांगें फैला दीं. मैं जब तक कुछ समझती, मीतेश ने मेरी चूत पर अपना लण्ड रखकर ठोकर मारी. मीतेश का लण्ड मेरी चूत में नहीं घुस पाया तो मीतेश ने अपने हाथ पर थूका और थूक को अपने लण्ड पर मल कर फिर से ठोकर मारी तो मीतेश का लण्ड मेरी चूत के अन्दर चला गया.

अब मुझे समझ आया कि मैं चुद गई हूँ, मामा तो कुछ करने से पहले ही टपक गये थे.

मीतेश के साथ 20 साल हो गये हैं. महीने, पन्द्रह दिन में जब उसकी इच्छा होती है, अपनी गर्मी उसी तरह से उड़ेल जाता है जैसे पीकदान में लोग थूक कर चल देते हैं. मीतेश से चुदवाना मेरे लिए वही कहावत सार्थक करता है कि खाया पिया कुछ नहीं, गिलास तोड़ा बारह आना. @#nonvegstory ✍

रेखा की कहानी सुनने के दौरान मेरा लण्ड रेखा की चूत पर पहलवानी जारी रखे हुए था. रेखा की चूचियों से खेलते हुए मैंने उससे घोड़ी बनने को कहा तो पलटकर घोड़ी बन गई, रेखा के पीछे आकर उसके चूतड़ों को फैलाकर मैंने अपना लण्ड उसकी चूत में पेल दिया और आगे की ओर झुककर उसकी चूचियां दबोच लीं.

अपने चूतड़ आगे पीछे करते हुए रेखा मेरे लण्ड का पूरा मजा ले रही थी. रेखा की हरकतों से मुझे भी जोश आ गया और मैंने फुल स्पीड से चुदाई शुरू दी. दोतरफा धक्कमधक्का चुदाई से रेखा की चूत ने पानी छोड़ दिया, अब मेरा लण्ड फच्च फच्च की आवाज के साथ चोदने लगा. मेरे लण्ड से फव्वारा छूटा तो मैंने चुदाई रोकी नहीं बल्कि डिस्चार्ज की आखिरी बूंद तक पिस्टन चलता रहा.

अब हफ्ते में एक दो बार रेखा की चूत की मंजाई करता हूँ. रेखा पहले की अपेक्षा काफी खुल गई है, या यूं कहो कि बेशर्म हो गई है, चुदाई के दौरान माहौल को सेक्सी बनाने के लिए खुलकर बोलती है.  

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बुधवार, 20 अक्टूबर 2021

सहयोगी टीचर से सेक्स किया

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#Serial_3


सहयोगी टीचर से सेक्स किया



मेरे पति चूत चुदाई से ज्यादा मेरी गांड चुदाई करते हैं. मुझे पता लगा कि वो कई औरतों की गांड चोदते हैं. तो हमारा झगड़ा हो गया. फिर जब मेरी चूत में वासना की आग लगी तो …

 अभिनन्दन. मैं एक स्कूल टीचर हूँ . मेरी ये पहली कहानी है और मैं आप लोगों के साथ अपना सच्चा अनुभव साझा कर रही हूँ जिसमें मैंने अपने साथ पढ़ाने वाले एक टीचर से सेक्स किया.

मेरा नाम ममता है और मैं एक 37 वर्षीय शादीशुदा महिला हूँ. मैं गुरुग्राम में टीचर के तौर पर कार्य करती हूं. मेरी लम्बाई 5 फीट 5 इंच है और शरीर भरा हुआ है. मेरी फीगर 36-34-40 की है. मेरी गांड बहुत भारी है क्योंकि मेरे पति ने मेरी चूत से ज्यादा मेरी गांड बजाई है. 

मेरे पति को गांड मारने का इतना शौक है कि उसने अपने ऑफिस की कई महिलाओं की गांड चुदाई कर रखी है. ये बात मुझे तब पता लगी जब एक दिन हमारा बहुत बुरा झगड़ा हो गया था. उसके बाद हमारे रिश्ते में बहुत ज्यादा खराबी आ गयी.

अब मैं काफी परेशान रहने लगी थी. अपनी ड्यूटी के दौरान भी उदास ही रहती थी. अपने काम को भी मैं ठीक से नहीं कर पा रही थी. अभी दो महीने पहले ही हमारे स्कूल में एक नया अध्यापक ट्रांसफर होकर आया था.

उसका नाम है मनोहर। वो स्कूल में अर्थशास्त्र के टीचर हैं. उनकी उम्र 29 साल और हाइट 5.5 फीट है मगर शरीर एकदम सुडौल और बनावट एकदम कसरती है. वो जितना आकर्षक दिखते हैं उतना ही सुन्दर पढ़ाते भी हैं. 

धीरे धीरे मेरी उनसे ऑफिशियल कामों को लेकर बात होने लगी. कुछ ही समय के अंदर हम दोनों में दोस्ती हो गयी और धीरे धीरे हम दोनों काफी अच्छे दोस्त बन गये. उसका एक कारण यह भी था कि वो अपने परिवार से दूर यहां पर अकेले रहते थे.

एक बार उन्होंने शाम में मुझे मिलने के लिए पूछा. मैंने अपने हस्बैंड का बहाना लेकर मिलने से मना कर दिया. अगले दिन फिर उन्होंने बातों ही बातों में कह दिया कि ममता तुम मुझे बहुत सुन्दर लगती हो. मैं आपको सिर्फ अपनी एक अच्छी दोस्त के नाते ही कॉफी पर बुला रहा था.

अपनी मजूबरी पर मेरा गला भर आया और आंखों में आंसू लिये मैं बोली- मनोहर, मेरे पति मुझ पर बहुत शक करते हैं. हमारे बीच के रिश्ते कभी भी अच्छे नहीं रहे हैं, न तो शारीरिक तौर पर और न ही पारिवारिक तौर पर. हम पति पत्नी के झगड़े का असर अब हमारे बच्चों पर भी पड़ने लगा है.

उन्होंने बड़े अपनेपन से मुझसे पूरी बात पूछी तो मैंने अपनी पति के नाजायज़ संबंधों और मेरे साथ उनके द्वारा की जाने वाली मेरी मार-पिटाई के बारे में बताया. मनोहर ने मुझे सांत्वना देते हुए कहा कि अगर मैं इस अत्याचार के खिलाफ कुछ कदम उठाना चाहती हूँ तो वो मेरा साथ देने के लिए तैयार हैं. 

उसके हिम्मत देने के बाद मार्च के महीने में एग्जाम के टाइम मैंने अपने पति के खिलाफ घरेलू हिंसा का केस दर्ज करवा दिया जिसके बदले में मेरे पति मनीष ने मुझे घर से निकाल दिया. उस दिन मैं बहुत रो रही थी. पूरे स्कूल के स्टाफ में मेरे ही बारे में चर्चा हो रही थी.

मनोहर ने मुझे स्कूल टाइम के बाद अपने साथ में चलने के लिए कहा. मेरे मना करने के बाद भी वो जोर देकर मुझे अपने घर ले गया. मैं सोच रही थी कि शायद ये मेरी मजबूरी का फायदा उठाने की सोच रहा है. मगर मुझे उसकी इन्सानियत का पता तब लगा जब उसने मुझे अपने हाथ से खाना बना कर खिलाया. 

उसके घर में एक ही बेड था. उसने मुझे बेड पर सोने के लिए कहा और खुद ज़मीन पर सो गया. उस दिन मुझे अपने पति मनीष और मनोहर के व्यक्तित्व का अंतर मालूम चला. मैंने पाया कि मनोहर एक अच्छा दोस्त ही नहीं बल्कि एक अच्छा इन्सान भी है.

ऐसे ही एक सप्ताह गुजर गया. मेरे पति मनीष ने इस एक हफ्ते के दौरान न तो मुझे कभी फोन किया और न ही मेरे स्कूल में आकर मुझसे मिलने की ही कोशिश की. अब कुछ दिन मैंने और इंतजार किया. फिर मुझे अपने बच्चों की फिक्र होने लगी.

मनोहर मुझे मेरे बच्चों से मिलवाने के लिए उनके स्कूल में ही ले गया. वहां मेरे बच्चों ने मुझे बताया कि पापा आपके नहीं होने के बाद से एक दूसरी आंटी को घर में बुला रहे हैं. वो आंटी पापा के साथ ही सोती है.

बच्चों के मुंह से ये बातें सुन कर मेरा दिमाग खराब हो गया. मैंने उसी क्षण निर्णय ले लिया कि अब मैं भी किसी की परवाह नहीं करूंगी. मनोहर और मैं उसके बाद घर आ गये. 

उस शाम को मैंने मनोहर से कहा कि आज का खाना मैं बना दूंगी.

मनोहर मान गया. हमने खाना बनाया और दोनों ने साथ में खाया और फिर बैठ कर बातें करने लगे. फिर वो बर्तन उठा कर धोने के लिए चला गया.

जब वो बर्तन धोकर वापस आ गया तो मैंने पूछा- तुम शादी क्यों नहीं कर लेते मनोहर?

वो हंसते हुए बोला- अगर मैं शादी करूंगा तो मेरा हाल भी तुम्हारे जैसा ही हो जायेगा. जिस तरह से पति के होते हुए भी फिलहाल मैं तुम्हें संभाल रहा हूं वैसे ही शादी के बा


द कोई दूसरी औरत फिर मुझे भी ऐसे ही संभाल रही होती.

उसकी इस बात पर हम दोनों हँस दिये. कुछ देर बैठ कर बातें करने के दौरान दोनों में हँसी मजाक काफी हुआ. फिर हम सोने की तैयारी करने लगे.

मैंने मनोहर से कहा- आओ, तुम भी बेड पर ही सो जाओ.

मनोहर ने मेरे पास सोने से मना कर दिया. वो कहने लगा कि औरत और मर्द के बीच में थोड़ी सी दूरी ही रहे तो अच्छा होता है. 

मैंने कहा- अब तो दूरियां खत्म हो जानी चाहिएं. जो भी होगा वह हम दोनों की इच्छा से ही होगा. मैं तुम्हें जबरदस्ती अपने साथ सोने के लिए नहीं कह रही हूं. मगर चूंकि मैं एक औरत हूं और मेरी वजह से तुम्हें जमीन पर सोना पड़े, ये मुझे अच्छा नहीं लगता.

मेरे कहने पर मनोहर मान गया. उस दिन के बाद से मनोहर और मैं साथ में एक ही बेड पर सोने लगे. मगर पहल दोनों में से किसी की ओर से नहीं हो रही थी. कुछ दिन ऐसे ही बीत गये.

एक दिन मुझे लेटे लेटे नींद नहीं आ रही थी. मैं करवट बदल कर लेटी तो देखा कि मनोहर का लंड तना हुआ था. उसकी लोअर को उसके लंड ने ऊपर उठा रखा था. फिर उसने भी करवट बदल ली.

मेरे अंदर बेचैनी सी हो गयी थी. मैं मनोहर को काफी दिन पहले से ही पसंद करती थी. कुछ पल के बाद उसने फिर से करवट ली और उसका लंड वैसा का वैसा तना हुआ था. बार बार उसकी लोअर को ऊपर उछाल रहा था.

मनोहर को बार बार करवटें बदलता हुआ देख कर मैं बोली- क्या हुआ मनोहर?

उसने मेरी ओर देखा और फिर अपने तने हुए लंड की ओर देखा तो उसकी आंखें शर्म से नीचे हो गयीं. 

आगे से पहल करते हुए मैंने पूछा- तुम्हें मेरे साथ लेट कर मेरे लिए कुछ फील हो रहा है क्या?

उसने मेरी बात का कोई जवाब नहीं दिया. बस लेटा रहा.

मैं बोली- देखो मनोहर, मैं एक साइंस टीचर हूं. मैं अच्छी तरह जानती हूं कि जब मर्द और औरत के जिस्मों के बीच में इतना कम फासला हो तो इस तरह की भावनाएं आना स्वाभाविक है.

मनोहर बोला- ममता, आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो. आपको देखकर मुझे अपनी माशूका की याद आ गयी.

मैंने कहा- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड भी थी? तुमने कभी बताया भी नहीं मुझे.

वो बोला- कभी इस विषय पर बात करने का माहौल ही नहीं बना.

मैंने कहा- अब तो माहौल भी है. अब तो बता दो अपनी प्रेम कहानी?

फिर मनोहर ने अपनी सारी स्टोरी मुझे बताई कि कैसे उसको एक लड़की से प्यार था, जिसका नाम भूमि था और दो साल पहले उनका ब्रेक अप हो गया. उसके बाद से उसकी जिन्दगी में कोई लड़की नहीं आई और उसने किसी दूसरी लड़की को अपने करीब आने भी नहीं दिया. 

मैं उसके साफ दिल प्यार से बहुत प्रभावित हुई और मैंने उसको अपने सीने से लगा लिया.

मैं बोली- कोई बात नहीं, जो हुआ उसको याद करके अब कोई फायदा नहीं है. मैं ही तुम्हारे लिये तुम्हारी भूमि बन जाती हूं.

उसके बाद हम दोनों अलग हो गये और सोने लगे. अगली सुबह हम उठे और तैयार होकर स्कूल जाने लगे. फिर दिन भर स्कूल में काम रहा.

छुट्टी के समय उसके निकलने से पहले मैंने उसको कहा- घर आते हुए एक मेडिकल स्टोर से कॉन्डम का एक पैकेट ले आना.

वो मेरी ओर देख कर मुस्कराने लगा. उसके बाद मैं आ गयी और कुछ देर के बाद मनोहर भी आ गया. हम दोनों ने खाना खाया और फिर बिस्तर पर लेट कर बातें करने लगे.

मैंने उसके कंधे को सहलाते हुए कहा- तो भूमि के साथ तुम क्या क्या करते थे?

वो बोला- क्या मतलब? 

मैंने कहा- ज्यादा बनो मत. तुम जानते हो कि मैं सेक्स के बारे में पूछ रही हूं.

वो बोला- पहले तो भूमि अपने चूचे पिलाती थी और फिर चूत भी चुसवाती थी. उसके बाद वो मेरा हथियार अपनी चूत में लगा कर अंदर ले लेती और चुदवाती थी. आगे से चुदवाने के बाद फिर पीछे भी लेती थी. तब जाकर उसको और मुझे शांति मिलती थी.

मन ही मन मैं खुश हो गयी कि चोदू किस्म का जवान लौंडा फंस गया है. इसके साथ तो मैं भी फिर से जवान हो जाऊंगी. मैंने देखा कि उसका लंड उसकी लोअर में फनफना रहा था.

मैंने मनोहर के सीने पर अपने कोमल हाथ से फिराते हुए कहा- तुम्हें मेरी चूचियां कैसी लगती हैं?

वो बोला- मैं तो पहले दिन से ही आपको पसंद करता हूं लेकिन फिर पता चला कि आप शादीशुदा हैं इसलिए कभी कुछ कहा नहीं.

उसकी छाती के निप्पलों को छेड़ते हुए मैंने कहा- अब तो मेरे पति भी मुझसे कोसों दूर जा चुके हैं, अब किसलिए इतनी दूरी बना रखी है.

उसने मेरी चूचियों को छेड़ कर कहा- दूरी कहां है, पास में ही तो हूं. 

इतना बोल कर हम दोनों ने एक दूसरे की आंखों में देखा और दोनों के होंठ मिल गये. दोनों एक दूसरे के होंठों के रस को एक दूसरे के मुंह से खींचने लगे. उसका लंड मेरी जांघों में चुभ रहा था. उसने मेरी पीठ और कमर को सहलाते हुए अपनी टांग मुझे पर चढ़ा ली थी. मैं भी उसके जिस्म से लिपटने लगी थी.

जल्दी ही दोनों गर्म हो गये और उठ कर मैंने अपनी मैक्सी और ब्रा को नीचे कर लिया. मनोहर के सामने मेरी चूची नंगी हो गयी. मैंने उसके हाथों को पकड़ कर अपनी नंगी


चूचियों पर रखवा दिया और उसने मेरी दोनों चूचियों को दबा कर देखा. उसको मेरी चूची काफी मस्त लगीं और वो उनको मुंह लगा कर पीने लगा.

मनोहर को मैं भी पसंद करती थी इसलिए जब उसके होंठ मेरी चूचियों को चूस रहे थे तो मुझे भी उस पर बेपनाह प्यार आ रहा था. मैं मदहोश होकर उसके बालों में हाथ फिरा रही थी. उससे चूचियां चुसवाते हुए ऐसा लगने लगा था कि मेरी जवानी फिर से जवान हो रही है. 

फिर मनोहर ने अपने सारे कपड़े निकाल दिये और मेरे बदन से लिपटने लगा. उसके बदन पर केवल एक अंडरवियर था और मेरे बदन पर मेरी चूत पर पहनी हुई मेरी पैंटी. मनोहर मेरी पैंटी को ऊपर से ही मसलने लगा था. मेरी चूत पानी छोड़ने लगी थी. मैं भी उसके लौड़े को ऊपर से ही सहला रही थी.

फिर उसने मुझे प्यार से नीचे लिटा लिया और हल्के हल्के चुम्बन देने लगा. पहले मेरे गालों पर, फिर गर्दन पर, फिर चूचियों पर, फिर पेट से होता हुआ नाभि पर और फिर मेरी पैंटी की इलास्टिक तक पहुंच गया. ऐसा लग रहा था कि जैसे उसने काफी समय से अपनी सेक्स की भूख को दबा कर रखा हुआ था.

फिर उसने मेरी पैंटी को किस करना शुरू कर दिया. मैं मस्त होने लगी. शायद मनोहर मेरी चूत को चाटना चाह रहा था. उसने मेरी पैंटी को खींच कर निकाल दिया. जैसे ही उसने पैंटी उतारी तो मेरी चूत नहीं दिखी बल्कि पैंटी के नीचे बालों का एक घोंसला उसको दिखा.

वो थोड़ा निराश हो गया. 

वो बोला- बाल बहुत ज्यादा बढ़ गये हैं आपकी चूत पर. इसकी सफाई करनी पड़ेगी.

उसके बाद उठ कर वो अपना ट्रिमर ले आया और मेरी चूत की सफाई करने लगा.

दो मिनट में ही उसने मेरी चूत को साफ कर दिया.

मैं बोली- ये मेरी चूत के पहरेदार सैनिक थे. अब मेरी चूत सुरक्षित नहीं रही. इस पर हमला हो सकता है.

उसने कहा- अब सैनिक मारे गये हैं. अब इस रानी को ज्यादा सुरक्षा मिलेगी.

उसने मेरी चूत को धोया और फिर कपड़े से पौंछ कर मेरी चूत में मुंह दे दिया और मेरी चूत को जोर जोर से जीभ देकर चाटने लगा.

मैं दो मिनट में ही पगला गयी. मेरी चूत तपने लगी. मनोहर अभी भी मेरी चूत को तेज तेज जीभ चलाते हुए चूस-चाट रहा था.

फिर उसने मेरी चूत में उंगली दे दी और मेरी चूत में उंगली करने लगा. वो तेजी से उंगली चलाने लगा. उसके बाद फिर से मेरी चूत में जीभ देकर चोदने लगा. 

अब मुझसे भी बर्दाश्त न हुआ और मैं भी उठ कर उसके लंड को अपने हाथ में लेकर मसलने लगी और उसके होंठों को चूसने लगी. मैंने उसे लिटा लिया और उसकी टांगों की ओर मुंह करके लेट गयी. मेरी चूत उसके मुंह पर जा लगी और मैंने उसके लंड को मुंह में भर लिया.

दोनों 69 की पोजीशन में हो गये और एक दूसरे को चूसने और चाटने लगे. उसका लंड चूसते हुए अब चूत चुसवाने में और ज्यादा मजा आने लगा मुझे. मनोहर भी पूरा मदहोश हो रहा था.

दस मिनट में उसने मेरी चूत का बुरा हाल कर दिया और मैं झड़ गयी. मेरा सारा शरीर ढीला पड़ गया.

मनोहर ने मुझे उठाया और कहा- बाथरूम में जाकर चूत को साफ कर लो.

जब मैं अपनी चूत को धोकर वापस आई तो मनोहर अपने लंड पर कॉन्डम चढ़ा कर बैठा हुआ था. 

मैं आकर बेड पर लेट गयी.

मनोहर ने मेरी टांगें फैला दीं और उनके बीच में बैठ गया. वो मेरी चूत पर अपने लंड को रगड़ने लगा.

मनोहर का लंड 6 इंच लम्बा और करीब करीब ढाई इंच मोटा था. मनोहर मेरे कंधों के पास हाथ रख कर मेरे ऊपर झुक गया और मैं अपने हाथ में उसका लंड पकड़ कर अपनी चूत पर रगड़ रही थी और मनोहर मेरे होंठों को चूम रहा था.

अब मैंने मनोहर का लंड अपनी चूत में डाल लिया और एक झटके में ही सारा लंड अंदर चला गया और मनोहर जोर जोर से लंड को अंदर बाहर करने लगा. दो मिनट बाद हमने पोजीशन बदल ली और अब मैं मनोहर के ऊपर बैठ कर लंड की सवारी कर रही थी.

मनोहर अपने हाथों में भर कर मेरे बड़े बड़े चूचे दबा रहा था और बीच बीच में मेरे चूतड़ों पर थप्पड़ मार रहा था. एक जवान मर्द से चुदाई करवा कर मुझे बहुत मजा आ रहा था. अपने पति के साथ मुझे सेक्स में इतना मजा कभी नहीं आया.

पांच मिनट के बाद हमने फिर से पोजीशन बदल ली. इस बार मनोहर ने मुझे उठाया और हम दोनों एक दूसरे की ओर मुंह करके बेड से नीचे जमीन पर खड़े हो गये. मनोहर ने मुझसे एक पैर बेड पर रखने के लिए कहा जिससे कि वो मेरी चूत में लंड डाल सके. 

मैंने ऐसा ही किया और मनोहर ने मेरी चूत में फिर से अपना लंड पेल दिया. वो मुझे खड़ी खड़ी चोदने लगा.

मैंने भी उसकी पीठ को नोंचना खरोंचना शुरू कर दिया. मेरी नंगी चूचियां उसकी छाती से चपकी हुई थीं और वो मेरी गांड को भींच भींच कर मेरी चूत में लंड को अंदर तक ठोक रहा था. हर ठोक के साथ मेरे मुंह से आह्ह-आहह् की आवाजें आ रही थी. लंड की ठुकाई से होने वाले उस दर्द में बहुत मजा मिला रहा था मुझे.

चार-पांच मिनट के बाद मनोहर ने मुझे कुतिया बनने को कहा और पीछे से मेरी चूत में लंड पेलने लगा. पांच सात मिनट तक मेरी चूत में जबरदस्त तरी


के से झटके लगते रहे. उसके बाद एक बार फिर से मेरा पानी निकल गया. मगर मनोहर का लंड अभी भी वैसे ही खड़ा हुआ था.

मनोहर ने मुझसे कहा- ममता यार, किसी तरह तुम भी मेरा पानी निकालो. 

मैं बोली- हाथ से हिला कर निकाल देती हूं.

वो बोला- नहीं, मैं तुम्हारी गांड में निकालना चाहता हूं. अपनी गांड चोदने दो मुझे.

मैं गांड चुदवाने के लिए तैयार हो गयी. मैं फिर से कुतिया बन गयी. मनोहर ने मेरी गांड के छेद पर क्रीम लगाई और मैंने अपने हाथों से दोनों चूतड़ फैला दिये. फिर मनोहर ने अपना लंड मेरी गांड में पेल दिया.

अपने पति से मैं अपनी गांड पहले भी काफी बार चुदवा चुकी थी. मगर मनोहर का लंड मेरे पति से मोटा था. उसका लंड अंदर जाते ही मेरी चीख निकल गयी. मगर मैं दर्द को बर्दाश्त कर गयी. मनोहर मेरी चूचियों को दबाने लगा और धीरे धीरे मेरी गांड में लंड चलाने लगा.

दो मिनट के अंदर ही मुझे मजा आने लगा और फिर जैसे ही उसने स्पीड पकड़ी तो उसके लंड से निकल रहे कामरस से मेरी गांड भी चिकनी हो गयी और क्रीम की चिकनाहट के साथ मिलने से गांड पच-पच की आवाज करने लगी.

मनोहर बोला- मुझे ये आवाज बहुत अच्छी लगती है. जब मैं अपनी गर्लफ्रेंड की चुदाई करता था तो ऐसे ही आवाजें आती थी. भूमि को भी मेरे लंड से चुद कर बहुत मजा आता था.

उसके बाद मनोहर तेजी से धक्के मारने लगा और दो मिनट के बाद उसने तीन चार जोरदार झटकों के साथ अपना माल मेरी गांड में कॉन्डम के अंदर छोड़ दिया. 

जब लंड बाहर निकाला तो कॉन्डम में काफी सारा माल भरा हुआ था. उसके माल की इतनी मात्रा देख कर ऐसा लग रहा था कि अगर ये मेरी चूत में छूट जाता तो मुझे गर्भवती बना देता और मैं मनोहर के बच्चे की मां बन जाती.

हम दोनों पूरी तरह से थक गये थे और लेट गये. उसके बाद हमने सुबह सुबह उठ कर एक बार फिर से चुदाई की. सुबह की चुदाई करने के बाद मूड बहुत ही फ्रेश हो गया. बहुत दिनों के बाद मुझे इतना फ्रेश और हल्का फील हो रहा था.

इस तरह मनोहर के साथ मेरी चुदाई का सीन अभी तक चल रहा है. अब हम दोनों सोच रहे हैं कि एक साथ कानूनी रूप से लिविंग रिलेशन में रहना शुरू कर दें. 

मैं इंतजार कर रही हूं कि जैसे ही मेरे पति के साथ मेरे तलाक का फैसला आ जायेगा, मैं उसी दिन से मनोहर के साथ खुले रूप से रहना शुरू कर दूंगी.

 

मंगलवार, 19 अक्टूबर 2021

नया मेहमान-1

 Non Veg Story #Antarvasna 18+ Adult #Sex #Education:

#Serial_2

मैं भवन निर्माण कार्य का ठेकेदार हूँ, गाँव का रहने वाला हूँ, पढ़ाई पूरी करने के बाद मध्यप्रदेश के एक शहर में किराये के मकान में अपनी बीवी के साथ रहता हूँ, यहीं अपने काम में मस्त रहता हूँ।

बात उस समय की है जब मेरी बीवी, जिसे प्यार से मैं जानू बुलाता हूँ, की डिलीवरी होना थी, बारिश का समय था, रात में अचानक उसे दर्द उठने लगा, वैसे तो पिछले चार दिनों से दर्द हो रहा था पर आज कुछ ज्यादा ही तकलीफ हो रही थी, योनि से पानी का रिसाव भी हो रहा था।

मैं भागकर रिक्शा लेकर आया फिर अपनी जानू को लेकर पास के प्राइवेट महिला नर्सिंग होम लेकर गया। डॉक्टर ने चेकअप करके बताया सब ठीक है प्रसव का समय हो गया है, एक आध घंटे में नया मेहमान आ जायेगा। 

मैं तो ख़ुशी से पागल हुआ जा रहा था। डॉक्टर द्वारा लिखे पर्चे का सारा सामान दवाइयाँ लाकर अस्पताल में दे दिया, फिर अपने साले को फोन से सारी सूचना दे दी।

चूँकि साला अपनी पत्नी यानि मेरी सलहज और 5 साल के बेटे के साथ वहाँ से 15 किलोमीटर रहता है। उसे अभी आने को मना कर सुबह आने को कह दिया, सोचा रात जागरण मेरा तो होगा ही, उन्हें क्यों इतनी रात गए परेशान करें।

रात 12.30 पर डॉक्टर ने बधाई दी, कहा- पुत्र रत्न हुआ है। 

थोड़ी देर बाद मुझे मेरी पत्नी से मिलने दिया, बहुत ख़ुशी हो रही थी, सारी रात आँखों ही आँखों में निकल गई, सोचा, चलो सुबह साला आ जायेगा तो घर जाकर थोड़ी देर सो लूँगा, शायद अपनी पत्नी रेखा को भी साथ लेकर आएगा।

बार बार सलहज का चेहरा नजर आ रहा था, गजब की कशिश थी उसमें, भगवान ने बड़े ही फुर्सत के समय में गढ़ा था उसको !

रंग ज्यादा गोरा नहीं है, गेहुँआ सा है, खास बात तो उसके शारीरिक गठन में है चेहरा गोल, उस पर बड़ी बड़ी कजरारी आँखें, बेदाग गाल, जब हँसती तो गाल में गड्डे पढ़ जाते, रसीले होंट, नाक में गोल नथ सानिया मिर्जा की तरह, ऊपरी होंट पर काला तिल कितना कातिल है यह उसे भी नहीं पता होगा।

उस पर काली घनेरी जुल्फें जब चोटी बनाकर चलती तो मटकते नितम्बों पर बारी बारी से ऐसे टकराती जैसे नागिन डस रही हो उसे, और घायल देखने वाले हो जाते हैं। 

कद 5’3’, बदन का आकार 34-30-36 होगा, एक बच्चा होने के बाद भी उसके स्तन गगनचुम्बी प्रतीत होते थे, भरे और फ़ूले हुए कठोर मौसंबी के तरह।

लगता है हमारा साला इनका इस्तेमाल ही न करता हो। पेट सपाट, कूल्हे चौड़े मांसल, गठे हुए नितंब जो चलते समय ऐसे मटकते की देखने वाला अपनी सुध ही खो दे।

नितम्ब देखकर जांघो का अनुमान भी अपनी कल्पना में लगा चुका था। 

उसे देख कई बार अपने आप को नियंत्रित करना मुश्किल होता था।

एक बार ससुराल की होली पर रेखा भाभी ने मुझ पर बाल्टी भर रंग डाल दिया, फिर दौड़ कर रसोई में भाग गई पीछे से मैं रंग लेकर दौड़ा और वहीं उसे पकड़ कर सूखा रंग उसके सर पर डाल दिया।

जो बचा था उसके चेहरे पर डालने के चक्कर में गले पर गिर गया और ब्लाउज़ के अन्दर भी भर गया। 

उस दिन पहली बार उसे छुआ था, मेरा सारा शरीर झनझना गया था फिर एक जग पानी उसके ऊपर डाल दिया, अब वो रंग में नहा गई थी, क़यामत से कम नहीं लग रही थी। रंग से गीली चोली देख मेरे तो होश ही उड़ गए थे, कहने लगी- जीजाजी, आपने मेरे सारे के सारे कपडे ख़राब कर दिए, अब आप से नए कपड़े लूंगी।

मैंने कहा- चलो, अभी दिला देता हूँ।

फिर वो हंस कर बाथरूम में घुस गई। मैं बैठकखाने में अन्य रिश्तेदारों के साथ आकर बैठ गया।

अपने दायरे में रहकर सब मस्ती कर रहे थे। उस दिन बड़ा आनन्द आया, नहाने के बाद भी सलहज रंग पूरा छुटा नहीं था, उसका रूप बड़ा ही दिलकश लग रहा था, सोच रहा था कि इसको चोली दिलाने का मौका कब मिलेगा, फिर बात आई गई हो गई।

कभी कभी उसके मजाक को देख उस पर शक होता था कि मेरी प्यारी सलहज के दिल में भी मेरे लिए कुछ है, फिर लगता कि शायद मेरा वहम हो।

लेकिन अपने मन में किसी के प्रति कुछ सोचना मेरी नजर में गुनाह नहीं है, चेष्टा करने की जरूरत मैंने नहीं समझी क्योंकि हमारा रिश्ता मजाक तक तो जायज था। फिर अपनी इज्जत अपने हाथ रहे, यही सोच कभी भी गलत बात या विचार उसे महसूस नहीं होने दिए। 

सलहज के ख्यालों में खोये हुए कब सुबह हो गई, पता ही नहीं चला, सोचा, बाहर जाकर टहल लूँ।

कुछ ही देर में हमारे साले साहब आ गए, साथ में थी उनकी सजी संवरी धर्मपत्नी यानि मेरी प्यारी सलहज !

आते ही साले साहब बधाइयाँ देकर अपनी बहन और भांजे को देखने अस्पताल के अन्दर चले गए।

सलहज रेखा ने हाथ बढ़ा कर मुझे बधाई दी, यह मेरे लिए अप्रत्याशित था, इसकी मुझे उम्मीद नहीं थी कि जिस हसीन सलहज के सपने से अभी जागा था, वह अपना हाथ मेरे हाथ में कुछ इस तरह दे देगी, उसका हाथ पकड़कर मैं खो सा गया, मुझे कुछ याद ही नहीं रहा कि हम सड़क पर खड़े हुए हैं। 

तभी मेरे कानों में


खनकती आवाज पड़ी- जीजाजी, क्या हुआ? मेरा हाथ नहीं छोड़ेंगे क्या?

तब मैंने हाथ छोड़ते हुए भाभी सॉरी कहा, फिर मैंने बताया- रात भर जगता रहा हूँ इसलिए नींद सी आ रही है। हजारों कहानियाँ हैं अन्तर्वासना पर !

अपनी सलहज रेखा को मैं भाभी संबोधन करके बात करता था। रेखा भाभी पढ़ी लिखी थी इसलिए उन्होंने हाथ मिलाकर बधाई दी होगी यह सोच कर अपने दिलोदिमाग को किसी गलत फहमी का शिकार होने से रोक भाभी को अन्दर अस्पताल में ले गया।

साले साहब भांजे को बाँहों का झूला झुला रहे थे, भाभी भी उनके साथ मग्न हो गई, मुझे अपने आप में कुछ ग्लानि सी हो रही थी कि मैं यह क्या कर बैठा, सहृदयता का बदला हवस से?

शांत बैठा यही सोच रहा था कि साले साहब बोले- आप चाय नाश्ता कर लो, फिर मेरी बाइक लेकर घर चले जाओ, आराम कर लेना, हम लोग यहाँ रुके हैं, चिंता मत करना। 

मैंने कहा- ठीक है ! 

मैं नाश्ता करके घर चला गया, जाकर नहाया, फिर सोने के लिए पलंग पर लेट गया और प्यारी सलहज के बारे में न चाहते हुए फिर सोचने लगा। कब नींद लगी, पता नहीं चला ! 

सोमवार, 18 अक्टूबर 2021

दोस्त की सास की चुदाई का मजा

Non Veg Story #Antarvasna 18+ Adult #Sex #Education:
#Serial_1

दोस्त की सास की चुदाई का मजा

@adult_shayari✍

मैंने अपने नवविवाहित दोस्त की सास की चुदाई की. इस सेक्स भरे खेल की शुरुआत मेरे दोस्त की शादी वाली रात को ही हो गयी थी. सास की चुदाई की कहानी का मजा लें. 
दोस्तो, मेरा नाम मनीष है. मैं मध्यप्रदेश के दतिया जिले से हूँ. आप लोगों को अपने बारे में बता दूं कि मैं दिल्ली में जॉब करता हूँ और पार्ट टाइम शादीशुदा लेडीज को सेक्स सर्विस भी देता हूं.
ये सेक्स कहानी मेरे एक दोस्त की सास की चुदाई की कहानी है, जो मेरे शहर से कुछ दूर एक दूसरे कस्बे में रहती हैं. वैसे तो मैं अभी तक 10 महिलाओं को अपनी सेवा दे चुका हूं, मगर ये कुछ खास ही चुदाई हुई थी, जो मैं कभी नहीं भूल सकता. 
मैं पहले आपको अपने दोस्त की सास का परिचय करवा देता हूँ. उनका नाम ममता है और उनकी उम्र 42 साल की रही होगी. ममता जी का शरीर पूरा भरा हुआ है. उनके मम्मे 36 इंच के हैं. उनको मैंने जब पहली बार देखा था, तो मेरा लंड सलामी देने लगा था. उन्हें देख कर पहले तो ये लगा ही नहीं था कि ये सास हैं. मैंने तो उन्हें दोस्त की बीवी की बड़ी बहन समझा था.
ये बात दो साल पहले मेरे खास दोस्त की शादी की उस समय की है. जब मैं उसकी बारात में गया था.
बारात दरवाजे पर पहुंची. लड़की वालों की तरफ से बहुत सी सुंदर-सुंदर लड़कियां भाभियां और आंटियां आई हुई थीं. मेरे सब दोस्त उन्हीं को देख कर आंखें सेंक रहे थे. 
कुछ देर बाद मैं स्टेज पर अपने दोस्त के साथ बैठा हुआ बातें कर रहा था. फिर वरमाला का प्रोग्राम हुआ, तो सभी लोग उसमें मजा लेने में लगे हुए थे. उसी समय मुझे वाशरूम जाना पड़ा. मैं अपने दोस्त को बोलकर वाशरूम की ओर चला गया. मैंने मालूम किया तो पता चला कि वाशरूम डिनर हॉल से निकल कर दूसरी तरफ बने हुए थे.
मैं वहां जाने लगा. उधर अन्दर डिनर हॉल में कुछ लेडीज खाना खा रही थीं. मैं उनकी सुन्दरता को देखता हुआ आगे बढ़ गया.
जब वहां से मैं बाथरूम की ओर गया, तो मुझे एक रूम का गेट थोड़ा खुला हुआ दिखाई दिया. मैंने देखा कोई औरत पीछे मुँह करके कपड़े पहन रही थी. मैं उन्हें देख कर रुक गया.
तभी उनकी आवाज आई- रूबी, जरा मेरी ब्रा का हुक तो लगा देना.
मैंने इधर उधर देखा तो उधर कोई दूसरी लड़की दिख ही नहीं थी, यानि ये आवाज उसने मेरी आहट पाकर शायद मुझे ही रूबी समझ लिया था.
पहले तो मैं एकदम से डर गया और वहां से आगे जाने की सोचने लगा, पर तभी उन्होंने फिर से आवाज़ दी कि सुनाई नहीं देता रूबी … मुझे देर हो रही है … जल्दी कर दे. पहले ही मुझे दूसरी साड़ी पहननी पड़ रही है. 
मैं डरते हुए उसके पास गया और उसकी ब्रा का हुक लगा दिया और मैं वहां से निकलने लगा.
उसी समय वो मुड़ी, तो रूबी की जगह मुझे पाकर हड़बड़ा गई.
फिर वो मुझे देख कर अपना साड़ी का पल्लू लेकर बोली- कौन हो तुम?
मैं हड़बड़ा गया और बोला- आपने ही तो मुझे बुलाया था.
वो बोली- मैं अपनी भतीजी को बुला रही थी … तुम कौन हो?
मैं बोला- मेरा नाम मनीष है … और जिस लड़के की शादी है, वो मेरा दोस्त है.
तो वो शर्माते हुए बोली- ओह … मैं उनकी सास हूँ.
मैंने उनको नमस्ते की और उन्हें देखने लगा. वो अपनी साड़ी पहनने लगी और मुझे देख कर मुस्कुराते हुए कहने लगीं- थाली से हल्दी गिर जाने से मेरे कपड़े खराब हो गए थे, इसलिए मुझे कपड़े बदलने आना पड़ा. 
उनकी मुस्कुराहट भरी आवाज से मेरा भी डर कम हो गया और मैं उधर से जाने लगा.
दोस्त की सास बोलीं- आप जरा अन्दर आओ … मुझे अलमारी से कुछ निकलवाना भी है … मेरी पहुंच उधर तक नहीं हो पा रही है. अभी तुम्हारे अंकल भी नहीं हैं. वो द्वारचार के लिए चले गए हैं.
उन्होंने ऐसे बोलते हुए अपना नीचे का होंठ दबा लिया. तो मेरी समझ में आ गया कि ये चालू माल है.
मैंने कहा- पहले मुझे जरा बाथरूम जाना है, उधर से आकर अभी सामान निकाल देता हूँ.
दोस्त की सास बोलीं- अन्दर बाथरूम है न … इधर ही फारिग हो लो.
मैं उनके कमरे के बाथरूम में घुस गया. उधर शायद उनकी ही ब्रा पैंटी पड़ी थीं. मैंने पैंटी को उठा कर सूंघा, तो मस्त हो गया. शायद वो अपनी चूत में कुछ खुशबू लगाती थीं.
फिर जब मैं बाथरूम से बाहर आया, तब तक वो साड़ी पहन चुकी थीं. 
मुझे देख कर बोलीं- मैंने आपका नाम नाम तो पूछा ही नहीं … क्या है?
मैंने उनको अपना नाम मनीष बोला और मैं उनकी अलमारी से सामान निकालने के लिए आगे बढ़ा.
जब मैं स्टूल पर ऊपर से सामान दे रहा था, तो उनके गहरे गले के ब्लाउज में साफ़ दिख रहे मम्मे मुझे मस्ती दे रहे थे.
दोस्त की सास के मम्मे देख कर मेरा पप्पू पैंट के अन्दर सलामी देने लगा. मैंने अपने आप पर बड़ी मुश्किल से संयम किया.
दोस्त की सास भी शायद ये समझ चुकी थीं. पता नहीं सामान लेने में या जानबूझ कर उन्होंने अपने पल्लू को ढलक जाने दिया.
उनकी चूचियों का मदमस्त नजारा मेरा हाल खराब करने लगा. 
इतने मैं मेरा बैल

ेंस बिगड़ गया और मैं अपने दोस्त की सास के ऊपर गिर पड़ा. हड़बड़ाहट में मेरा एक हाथ उनके मम्मों पर चला गया और दूसरा हाथ उनके पेट का सहारा लेता हुआ उनकी नाभि पर जा लगा.
इस वजह से वे भी घबरा सी गईं और उनके मुँह से ‘ओ मर गई..’ निकल गई.
उस समय मुझे न जाने कहां से हिम्मत आ गई और मैंने उनको एक किस कर दिया.
किस करने के बाद मैंने उनको छोड़ा नहीं, बस यूं ही उनकी तरफ देखने लगा.
अचानक न जाने क्या हुआ, वो भी मुझे पकड़ कर किस करने लगीं.
मुझे मजा आ गया. अब मैं भी उनको बहुत देर तक किस करता रहा. फिर मैं उनके मम्मे दबाने लगा.
वो मस्त होने लगीं और बहुत जोर से सीत्कार करने लगीं. वो भी जोश में आकर मुझे किस करने लगीं … कुछ ही देर के इस चूमाचाटी के प्रोग्राम में शायद वो झड़ गई थीं. 
फिर वो मुझसे अलग हुईं और बोलीं- अब बर्दाश्त नहीं होता, जल्दी से चोद दे मुझे. समय भी कम है … बस दस मिनट में ही मुझे मजा दे दे.
मैं उनकी ये डिमांड सुनकर जोश में आ गया. मगर वहां चुदाई के खेल खेलने में खतरा था, तो मैंने उनकी चूचियां मसलते हुए कहा- अभी सब्र रखो आंटी, जल्दीबाजी में मजा नहीं आएगा. मुझे मौक़ा मिलते ही मैं आपको मस्ती से चोदूंगा.
वो भी मेरी बात सुनकर चुप हो गईं.
मैं उनको प्यासा छोड़कर चला आया. मुझे भी दोस्त के पास से आए हुए बहुत देर हो गई थी.
जब मैं स्टेज पर आया, तो मेरा दोस्त पूछने लगा- कहां चला गया था? कितनी देर लगा दी.
मैं बोला- कहीं नहीं यार … जरा डांस देखने लगा था.
कुछ देर बाद उनकी सास आशीर्वाद देने स्टेज पर आईं और मुझे देख कर मुस्कुरा कर वापस चली गईं. मैंने भी उनको देख कर स्माइल की और शादी का मज़ा लेने लगा.
कुछ टाइम बाद एक छोटा लड़का आया तो वो मुझसे बोला- जीजा, आपको मम्मी बुला रही हैं.
मेरा दोस्त बोला- जा … शायद तुझसे कोई काम होगा. 
मैं अन्दर गया, तो ममता आंटी बोलीं- मनीष, तुम अपना नम्बर मुझे दे दो.
मैंने उनको अपना नम्बर दे दिया और चला आया. शादी की पूरी विधि चलती रही. मुझे इतना समय ही नहीं मिला कि मैं ममता आंटी की चुदाई कर सकूं.
विदाई के बाद मैंने उनको एक कोने में ले जाकर चूमा. उनके मम्मे दबा कर उनसे जल्द ही आकर दोस्त की सास की चूत चुदाई करने का वादा किया और वापस आ गया.
दो दिनों के बाद आंटी का फोन आया और बहुत ही सेक्सी आवाज आई. मुझे उनका नम्बर मालूम ही नहीं था, तो ये नम्बर मेरे लिए एक अनजान नम्बर था.
मैं बोला- कौन?
आंटी बोलीं- इतनी जल्दी भूल गए … मैं ममता बोल रही हूँ.
मैं- ओह … याद आया … आप हैं … आपको कैसे भूल सकता हूँ जान … बोलो क्या काम है?
आंटी कामुक आवाज में बोलीं- अधूरा काम पूरा नहीं करोगे? 
मैंने बोला- हां जरूर करूंगा.
अब मेरे मन में लड्डू फूटने लगे थे. मैं बस इस फिराक में था कि कब मुझे उनसे मिलने का मौका मिले और आंटी की चूत चुदाई का मजा ले सकूं.
उस दिन मैंने दोस्त की सास ममता आंटी के नाम की दो बार मुठ मारी और ठंडा हो कर सो गया.
अगले दिन आंटी का फोन आया और उन्होंने मुझे घर आने के लिए कहते हुए बताया कि आज आ जाओ, तेरे अंकल भी घर पर नहीं हैं.
मैं खुश हो गया कि दोस्त की सास की चुदाई का मौक़ा मिलेगा. और शाम को बाइक से उनके यहां चला गया, तो उन्होंने मेरा बहुत स्वागत सत्कार किया. मैं उनके घर पर रात रुकने के नजरिये से आया था. आज अंकल भी घर पर नहीं थे.
मैं तो बस उनकी मदमस्त चूचियों को ही देखे जा रहा था. आंटी भी झुक झुक कर मुझे सब्जी आदि दिए जा रही थीं.
एक बार जब वो झुकीं, तो मैंने सबकी निगाह बचाते हुए उनके कान में कह दिया- मैं अपने दोस्त की सास की चुदाई करने आया हूँ.
वो मेरी तरफ देख कर मुस्कुराने लगीं.
दो घंटे बाद रात गहराने लगी थी. इस खाना खाने के बाद सब अपने कमरों में सोने चले गए. मैं भी लेट चुका था. 
तभी ममता आंटी आयी, वो मुझे चिकोटी काटते हुए बोलीं- सो गए क्या?
मैं बोला- नहीं तो!
वो बोलीं- चलो खेल शुरू करते हैं.
वो उठते हुए कमरे में जाने लगीं और मुझे पीछे आने का इशारा कर दिया.
मैं उनके कमरे में गया, तो मैंने पूछा- अंकल कहां गए हैं. क्या रात को वापस आ जाएंगे?
वो बोलीं- वो इधर कम ही आते हैं. पास के गांव में खेती करवाते हैं, मैं यहां अकेली बच्चों के साथ रहती हूं.
मुझे मालूम था कि उनके चार बच्चे थे. मगर उनको देख कर ये नहीं लगता था कि ये चार बच्चों की मां हैं. ये मुझे काफी बाद में पता लगा था कि उनके पति की उम्र उनसे काफी ज्यादा थी. अंकल 54 साल के थे और वो अब उन्हें लंड का सुख नहीं दे पाते थे.
मैंने उन्हें बांहों में ले लिया और किस करने लगा. तो वो भी मेरा साथ देने लगीं. हम दोनों चिपक कर किस करने लगे. वो ‘ओह्ह आह..’ की आवाज निकालने लगीं.
कुछ ही देर बाद मैंने उनके ब्लाउज़ और ब्रा को निकाल दिया. ममता आंटी के रसीले मम्मे बाहर निकल कर हवा में उछलने लगे. मैं उनके दोनों मम्मों को अपने हाथों में भर कर जोरों स

े दबाने लगा. वो बहुत ज़ोर से ‘ओह्ह आह … ओह्ह आह..’ की आवाज़ निकालने लगीं.
फिर उन्होंने मेरी पैंट निकाल कर मेरा लंड बाहर निकाला और मस्ती से उससे खलने लगीं. मैंने आंटी से लंड चूसने का कहा, तो नीचे बैठ कर आंटी लंड चूसने लगीं.
आह क्या मज़ा आने लगा था दोस्तो … मेरे दोस्त की सास लंड बहुत अच्छा चूसती थीं.
उनके लंड चूसने से मेरे मुँह से कराह निकलने लगी- आह ममता रानी … और जोर से लंड चूसो. आह … कितना मस्त चूसती हो … आह बड़ा मज़ा आ रहा है … मेरे आंड भी सहलाओ रानी.
ममता आंटी मस्ती से मेरे आंड चाटते हुए मेरे लंड को फुल मजा देने में लगी थीं. मैं उनके मम्मे मसलने लगा था.
कुछ देर बाद ममता आंटी बोलीं- अब अपना लंड मेरी चूत में जल्दी से अन्दर डाल दो. मैं बहुत प्यासी हूँ. 
मैंने उनको अपने नीचे लिटा कर दोस्त की सास की चूत में एकदम से अपना लंड डाल दिया.
उनके मुँह से जोर की आवाज़ निकली- आह … मार दिया फाड़ दी मेरी चूत … धीरे चोदो मनीष जी … आपका लंड बहुत मोटा और बड़ा है … तुम तो मार ही डालोगे.
मैं बोला- दामाद के दोस्त के लंड का मज़ा लो मेरी सासू अम्मा!
मैं धीरे-धीरे दोस्त की सास की चूत में लंड के धक्के मारने लगा. वो गांड उठाते हुए ‘ओह्ह ओह …’ की मादक आवाजें निकालने लगीं.
मैं उनकी चूचियों को भींचते हुए उनकी चूत में पूरा लंड अन्दर बाहर करते हुए दोस्त की सास की चुदाई का मजा लेने लगा.
दोस्त की सास- आह चोदो … आह मज़ा आ रहहा है … आह आह उम्म!
अब उनकी चूत से फच फच की आवाज़ आने लगी थी. वो मस्ती से चुदते हुए कह रही थी- आह आज न जाने कितने दिनों बाद मुझे चैन मिला है … आह मज़ा आ रहा है. मेरी ऐसी चुदाई बहुत दिनों बाद हुई. मेरी प्यासी चूत को बड़ा जानदार लंड मिला है … ओह्ह. 
कुछ ही देर बाद आंटी झड़ गईं और निढाल हो गईं.
मगर अभी मेरा नहीं हुआ था, तो मैंने उनको बताया.
वो हांफते हुए बोलीं- एक मिनट रुक जाओ.
मैंने लंड निकाला, तो अगले ही पल वो घोड़ी बन गईं और पीछे से चुदाई करने का इशारा करने लगीं. मैं पीछे से लंड पेल कर चूत चोदने लगा.
ममता आंटी बड़े मजे से मेरा लंड चूत में ले रही थीं. और मादक आवाजें भी निकाल रही थीं- आह आह मार दिया.
फिर कुछ देर बाद ममता आंटी मेरे लंड के ऊपर आ गई. उन्होंने मेरा लंड अपनी चूत पर सैट किया और धक्के मारने लगीं.
मैं उनके मम्मे मसलता हुआ ज़ोर ज़ोर से दोस्त की सास की चुदाई कर कर रहा था.
आंटी ‘आह हहह..’ करते हुए गांड उछाल रही थीं.
फिर मेरा निकलने को हुआ, तो मैं उनको नीचे लिटा कर जोर जोर से चोदने लगा. पूरा कमरा फच फच फक फच की आवाजों से भर गया.
कोई बीस शॉट लगाने के बाद मैं झड़ गया. हम दोनों हांफने लगे.
कुछ देर बाद हम दोनों चिपक कर फिर से चूमाचाटी करने लगे. 
उस रात मैंने उनको 3 बार चोदा और सुबह मैं अपने घर आ गया. अब जब भी उन्हें मेरे लंड की जरूरत होती, तो वो मुझे फ़ोन कर देतीं और मुझसे खूब चुदवातीं.
 
अब मैं दिल्ली आ गया हूं. उनका रोज फ़ोन आता है, मगर मैं नहीं जा पाता हूं. उन्होंने अपनी एक सहेली को भी मुझसे चुदवाया था.
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कुंवारा लंड कुंवारी चूत की घमासान चुदाई

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